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कविता

सपने-2

सत्यनारायण


आँख हैं
सपने
हमेशा पास रखना।

चुप्पियों
खामोशिओं
के बीच बोलेंगे
और
बीहड़ रास्तों में
साथ हो लेंगे
रोशनी देंगे
अँधेरों को -
तनिक विश्वास रखना।

टूटते हैं
टूटकर फिर
जन्म लेते हैं
बंजरों को
जिंदगी के
गीत देते हैं
टूट जाती हैं
हदें सब
दृष्टि में आकार रखना।

और जिस दिन
आँख से
ये बिछड़ जाएँगे
चिंदियों की तरह
हम-तुम
बिखर जाएँगे
जानना चाहो
अगर तो
सामने इतिहास रखना।
 


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